विजन लाइव/ग्रेटर
नोएडा
आई0टी0एस0
इंजीनियरिंग काॅलेज के सभी संकायो
द्वारा अपने-अपने क्षेत्र
की विशेषताओं
को ध्यान
में रखते
हुए कई
तरह के
बेविनार का
आयेाजन किया
जा रहा
है जिसमें
की छात्र-छात्राओं को
आॅनलाइन नियमित
कक्षाओं के
साथ-साथ
अन्य महत्वपूर्ण
विषयों से
जो की
आज के
परिवेश में
महत्वपूर्ण है, उससे अवगत या
यह कहे
कि उनसे
रूबरू होते
रहें। इस
तरह के
बेविनार से
उन्हें लाॅकडाउन
में रहने
से होने
वाली मानसिक
तकलीफो से
दूर रखा
जा सकता
है। इसके
द्वारा यह
जताने का
प्रयास कर
रहे है
कि कैसे
दृढ़शक्ति से
हमारा काॅलेज
ऐसी विषम
परिस्थितिओं में भी अपने शिक्षण
कार्य को
बिना किसी
बाधा के
चला सकता
है। कुछ
महत्वपूर्ण बेविनारों में से एक
बेविनार साल्ट
सेंटर आॅफ
एक्सीलेंस द्वारा
साॅफ्टवेयर टेस्ंिटग पर आयोजित किया
गया। कार्यक्रम
के संयोजक
प्रो0 आशीष
रहे और
मुख्य वक्ता
के रूप
में प्रो0
ललिता चैधरी
समन्वयक साल्ट
मौजूद रहीं।
मुख्य वक्ता
प्रो0 ललिता
चैधरी ने
बताया कि
साॅफ्टवेयर परीक्षण वह नहीं जो
एक दशक
पहले था,
पिछले कुछ
वर्षो में
इसने बहुत
कुछ बदल
दिया है।
साॅफ्टवेयर परीक्षण एक प्रक्रिया है।
एक साॅफ्टवेयर
एप्लिकेशन की कार्यक्षमता का मूल्यांकन
करने के
इरादे से
यह पता
लगाने के
लिए कि
विकसित साॅफ्टवेयर
विशिष्ट आवश्यकताओं
को पूरा
करता है
या नहीं
और यह
सुनिश्चित करने के लिए कि
उत्पाद गुणवत्ता
के उत्पादन
के लिए
उत्पाद दोष-मुक्त है
या नहीं।
उन्होंने कहा
साॅफ्टवेयर टेस्टिंग दो प्रकार से
होती है-
1. मैनुअल टैस्टिंग-इसमें सारे परीक्षण
हाथो द्वारा
बाजार में
उपस्ािित उपकरणों
द्वारा किया
जाता है।
2. आॅटोमेटिक टेस्टिंग-इसमें स्वचालन टूल
का उपयोग
करके स्वचालित
रूप से
परीक्षण किया
जाता है।
इसी प्रकार
साॅफ्टवेयर परीक्षण के भी दो
तरीके होते
हैं- 1. स्टैटिक
टेस्टिंग: इसे साॅफ्टवेयर परीक्षण में
सत्यापन के
रूप में
भी जाना
जाता है।
2. डायनामिक टेस्टिंगः इसे साॅफ्टवेयर टेस्टिंग
में मान्यता
के रूप
में भी
जाना जाता
है। कार्यक्रम
के अंत
में सभी
छात्रों ने
साॅफ्टवेयर टेस्टिंग से संबंधित प्रश्न
मुख्य वक्ता
से किए
जिसका बड़े
ही सरल
भाषा में
उत्तर दिया।
इस कार्यक्रम
में सीएस
विभाग के
दूसरे ओर
तीसरे वर्ष
के लगभग
90 विद्यार्थियों के साथ
सभी शिक्षको
ने भाग
लिया।